सेहत – We News https://wenews.co.in Hindi News, Lifestyle & Entertainment Articles Mon, 09 Jun 2025 14:45:37 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 रात में नजर आने वाले 5 लक्षण चीख-चीखकर बताते हैं खराब हो गई है क‍िडनी https://wenews.co.in/NewsArticle/147496/ Mon, 09 Jun 2025 14:45:37 +0000 https://wenews.co.in/NewsArticle/147496/

किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है जो खून को साफ करता है और विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। हालांक‍ि आज कल लोग अनहेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो कर रहे हैं। इस कारण किडनी पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इससे किडनी खराब होने का खतरा बढ़ गया है।

क‍िडनी हमारे शरीर का अहम ह‍िस्‍सा है। ये ब्‍लड को फ‍िल्‍टर करने का काम करता है। साथ ही हमारे शरीर से जहारीले पदार्थों को बाहर न‍िकालता है। इसका हेल्‍दी रहना बेहद जरूरी है। अगर क‍िडनी सही तरीके से काम नहीं करेगी तो हमारे शरीर में कई दिक्‍कतें बढ़ सकती हैं। आज कल लोगों की अनहेल्‍दी लाइफस्‍टाइल और खराब खानपान के कारण क‍िडनी पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

ऐसे में क‍िडनी के डैमेज होने का खतरा भी बढ़ गया है। आपको बता दें क‍ि क‍िडनी डैमेज होने पर कुछ लक्षण हमारे शरीर में नजर आने लगते ह‍ैं। इन्‍हें पहचानना सबसे ज्‍यादा जरूरी है। वहीं कुछ लक्षण ऐसे भी हैं जो स‍िर्फ रात के समय या सोते समय ही नजर आते हैं। अगर इन्‍हें पहचान कर समय रहते इलाज करा ल‍िया जाए तो जान बच सकती है। इससे आप अपनी किडनी को दोबारा हेल्दी बना सकते हैं।

आज का हमारा लेख भी इसी व‍िषय पर है। हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो रात के समय ही नजर आते हैं। आइए उन लक्षणों के बारे में जानते हैं व‍िस्‍तार से –

पैरों में सूजन
अगर रात में सोने से पहले आपको अपने पैरों पर सूजन नजर आए ताे समझ लें क‍ि आपकी क‍िडनी सही तरीके से काम नहीं कर पा रही है। कई बार सोकर उठने पर भी पैरों में सूजन बनी रहती है। इसका सीधा मतलब ये है क‍ि आपके शरीर में पानी और सोडियम जमा हो रहा है।

बार-बार पेशाब आना
अगर आप रात में सोते कम और बार-बार वॉशरूम की ओर भागते हैं ताे ये भी क‍िडनी डैमेज होने के लक्षणों में से एक है। जब आपकी क‍िडनी खराब होने लगती है तब आपको बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है। ऐसे कंडीशन में ब‍िना देर क‍िए डॉक्‍टर के पास जाना सही रहेगा।

प्‍यास लगना
कई मामलों में क‍िडनी खराब हाेने पर शरीर में पानी की कमी भी हाेने लगती है। ऐसे में आपको रात के समय बार-बार प्‍यास लगती है। अगर आप रात में हद से ज्‍यादा पानी पीते हैं तो इसे नजरअंदाज करने के बजाय सतर्क हो जाना चाह‍िए। ये किडनी की समस्या का संकेत हो सकता है।

सांस फूलना
अगर रात के समय अचानक से सांस फूलने लगे तो समझ जाएं क‍ि आपकी क‍िडनी खराब हाे चुकी है। जब किडनी सही तरीके से काम नहीं कर पाती है तो सांस फूलने की समस्या हो सकती है।

खुजली और रैशेज
जब क‍िडनी सही तरीके से काम करने में सक्षम नहीं होती है तो इससे हमारे शरीर में टॉक्सिन्‍स जमा होने लगते हैं। इस कारण त्वचा पर खुजली और जलन की समस्या हो सकती है। अगर आपको छोटे-छोटे दाने भी न‍िकल रहे हैं तो ये भी क‍िडनी डैमेज होने का संकेत हो सकता है।

किडनी को कैसे रखें हेल्‍दी
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखें।
डायबिटीज को कंट्रोल करें।
वजन मेंटेन रखें।
रोजाना एक्सरसाइज करें।
शरीर में पानी की कमी न हाेने दें।
नमक कम खाएं।
स्मोक से परहेज करें।

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फ्रिज में 24 घंटे से ज्यादा नहीं रखनी चाहिए 4 चीजें https://wenews.co.in/NewsArticle/147498/ Mon, 09 Jun 2025 14:45:37 +0000 https://wenews.co.in/NewsArticle/147498/

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो सोचते हैं कि फ्रिज में रखी हर चीज लंबे समय तक फ्रेश रहती है? अगर हां, तो संभल जाइए, क्योंकि आपकी यही आदत आपकी सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। जी हां, हाल ही में न्यूट्रिशनिस्ट रिता जैन ने खुलासा किया है कि कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें 24 घंटे से ज्यादा फ्रिज में रखना, उन्हें ‘सेहत का दुश्मन’ बना सकता है। ये पढ़कर आप शायद चौंक गए हों, लेकिन ये बिल्कुल सच है। आइए जानते हैं फ्रिज में रखी किन 4 चीजों से आपको 24 घंटे बाद तुरंत किनारा कर लेना चाहिए।

छीला हुआ लहसुन
लहसुन खाने का स्वाद बढ़ा देता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि छीला हुआ लहसुन 24 घंटे से ज्यादा फ्रिज में रखने पर उसमें ‘बोटुलिज्म’ नामक बैक्टीरिया पनप सकता है? यह बैक्टीरिया एक टॉक्सिन बनाता है जो सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह है। इसलिए, बेहतर होगा कि आप जरूरत के हिसाब से ही लहसुन छीलें या फिर उसे साबुत ही फ्रिज में रखें।

कटी हुई प्याज
प्याज काटने के बाद तुरंत इस्तेमाल कर लेनी चाहिए। कटी हुई प्याज को फ्रिज में ज्यादा देर रखने से उसमें नमी आ जाती है और हानिकारक बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने लगते हैं। इससे फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। अगली बार जब आप प्याज काटें, तो उसे तुरंत इस्तेमाल करें और बची हुई प्याज को न रखें।

कटा हुआ अदरक
अदरक भी लहसुन और प्याज की तरह ही है। कटा हुआ अदरक जब फ्रिज में रखा जाता है, तो वह जल्दी सूखने लगता है और उसमें फंगस लगने का खतरा बढ़ जाता है। यह फंगस आपकी सेहत बिगाड़ सकती है। इसलिए, अदरक को भी जरूरत के हिसाब से ही काटें और अगर बचा है तो उसे तुरंत इस्तेमाल करें।

पके हुए चावल
यह सुनकर आपको शायद सबसे ज्यादा हैरानी होगी, लेकिन पके हुए चावल फ्रिज में 24 घंटे से ज्यादा रखना भी सुरक्षित नहीं है। दरअसल, पके हुए चावल में ‘बैसिलस सेरेस’ नामक बैक्टीरिया होता है। अगर चावल को कमरे के तापमान पर या फ्रिज में लंबे समय तक रखा जाता है, तो ये बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं और टॉक्सिन छोड़ते हैं। इन्हें खाने से उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, पका हुआ चावल हमेशा ताज़ा ही खाएं और अगर बच जाए तो उसे जल्द से जल्द खत्म कर लें।

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ये 5 संकेत चीख-चीखकर बताते हैं शरीर में हो गई है Vitamin-B12 की कमी https://wenews.co.in/NewsArticle/147500/ Mon, 09 Jun 2025 14:45:37 +0000 https://wenews.co.in/NewsArticle/147500/

एक स्वस्थ शरीर में विटामिन्स, मिनरल्स, फैट, फाइबर और प्रोटीन सभी सही मात्रा में मौजूद होते हैं। इनमें से कुछ भी कम हो, तो शरीर का हाल बेहाल होने लगता है। हालांकि, Vitamin-B12 एक ऐसा विटामिन है, जिसकी कमी कई बार लोगों में देखने को मिल जाती है। यह विटामिन हमारे शरीर के कई फंक्शन्स के लिए जरूरी होता है। इसलिए इसकी कमी से शरीर में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं। लेकिन कैसे पता चले कि शरीर में विटामिन-बी12 की कमी हो रही है? आइए जानते हैं 5 ऐसे संकेत (Vitamin B-12 Deficiency Symptoms), जो इस ओर इशारा करते हैं।

थकान और कमजोरी महसूस होना
अगर आपको बिना किसी मेहनत के ही थकान और कमजोरी महसूस होती है, तो यह विटामिन-बी12 की कमी का पहला संकेत हो सकता है। यह विटामिन रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है, जो शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं। बी12 की कमी से एनीमिया हो सकता है, जिसमें शरीर में ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं पहुंच पाता है और व्यक्ति हमेशा थका-थका महसूस करता है।

हाथ-पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन
विटामिन-बी12 नर्वस सिस्टम को हेल्दी रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी से नसों को नुकसान पहुंचता है, जिसके कारण हाथ-पैरों में झनझनाहट, सुन्नपन या चुभन जैसा अहसास होता है। इसे “पेरिफेरल न्यूरोपैथी” कहा जाता है। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो यह नर्वस सिस्टम को डैमेज करने लगती है।

याददाश्त कमजोर होना
विटामिन-बी12 की कमी का सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। इससे याददाश्त कमजोर हो सकती है, फोकस में कमी आ सकती है और कभी-कभी कन्फ्यूजन भी हो सकता है। कुछ लोगों में इसकी कमी से डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन या मूड स्विंग्स भी देखे जाते हैं। लंबे समय तक बी12 की कमी बनी रहे, तो यह डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारी का कारण भी बन सकती है।

त्वचा का पीला पड़ना
विटामिन-बी12 की कमी से शरीर में रेड ब्लड सेल्स ठीक से नहीं बना पाता, जिससे “मेगालोब्लास्टिक एनीमिया” हो सकता है। इस कंडिशन में त्वचा पीली दिखाई देने लगती है, जिसे पीलिया भी कहा जाता है। आंखों का सफेद हिस्सा भी हल्का पीला हो सकता है। यह संकेत बताता है कि शरीर में बी12 की गंभीर कमी हो चुकी है।

जीभ में सूजन या मुंह के छाले
विटामिन-बी12 की कमी से जीभ में सूजन, रेडनेस या चिकनापन आ सकता है, जिसे “ग्लॉसिटिस” कहते हैं। इसके अलावा, मुंह में बार-बार छाले होना भी इसकी कमी का संकेत हो सकता है।

विटामिन-बी12 की कमी को कैसे पूरा करें?
डाइट में शामिल करें- अंडे, दूध, दही, पनीर, मछली (सालमन, टूना), चिकन और रेड मीट में भरपूर मात्रा में बी12 पाया जाता है।

सप्लीमेंट्स- डॉक्टर की सलाह पर विटामिन-बी12 के सप्लीमेंट्स लिए जा सकते हैं।

फोर्टिफाइड फूड्स- शाकाहारी लोग सोया मिल्क, बादाम मिल्क और अनाज जैसे फोर्टिफाइड फूड आइटम्स से भी बी12 हासिल कर सकते हैं।

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घूमने वालों की पहली पसंद क्‍यों बन रहा Naked Flying? https://wenews.co.in/NewsArticle/147502/ Mon, 09 Jun 2025 14:45:37 +0000 https://wenews.co.in/NewsArticle/147502/

दुन‍ियाभर के ज्‍यादातर लोगों को घूमने का शौक होता है। घूमने से मन को शांति म‍िलती है। घूमने से न केवल नई जगहों को देखने, उनकी संस्‍कृत‍ि जानने और मौज-मस्ती करने का मौका मिलता है, बल्कि ये आपकी लाइफ को कई तरह से बेहतर बना सकता है। ट्रैवल‍िंग करने से मेंटल और फ‍िज‍िकल हेल्‍थ दुरुस्‍त रहता है। हालांक‍ि कई लोग ऐसे भी हैं ज‍िन्‍हें लगता है क‍ि घूमने जाने के ल‍िए उन्‍हें कई पचड़ों में फंसना पड़ जाता है।

इनमें कपड़े पैक करने से लेकर खाने – पीने का समान रखने जैसी कई चीजें शाम‍िल हैं। उन्‍हें लगता है क‍ि इतना तामझाम करने की क्‍या ही जरूरत है। ट्रैवल‍िंग की दुन‍िया में नेकेड फ्लाइंग (Naked Flying) का चलन बढ़ गया है। नाम सुनकर आपके मन में जो ख्‍याल आया है, ये वैसा ब‍िल्‍कुल भी नहीं है। यहां इसका मतलब बिना कपड़ों के ट्रैवल करना नहीं है। अगर आपने भी अभी तक इस ट्रेंड के बारे में नहीं सुना है तो इस आर्टिकल को आख‍िरी तक जरूर पढ़‍िएगा।

आज हम आपको Naked Flying के बारे में सारी जानकारी देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं व‍िस्‍तारे से क‍ि नेकेड फ्लाइंग क्‍या है और ये इन द‍िनों क्‍यों इतना ट्रेंड कर रहा है। इसके फायदे क्‍या हैं –

क्‍या है Naked Flying?
नेकेड फ्लाइंग का मतलब है क‍ि आप ब‍िना क‍िसी झंझट में पड़कर भी ट्रैवल कर सकते हैं। ये ब‍िना सामान और हैवी लगेज के ट्रैवल करने की कला है। इसमें आप बस ऐसी चीजों को ले जा सकते हैं जाे पॉकेट में आसानी से फ‍िट हो जाएं। जैसे मोबाइल, चार्जर, वॉलेट। इससे आप पैंसे भी बचा सकते हैं। कई लोगों को आदत होती है क‍ि वे कहीं जाते हैं ताे भारी-भरकम लगेज तैयार करते हैं। इससे उन्‍हें एयरपोर्ट पर एक्‍सट्रा चार्ज भी देने पड़ते हैं। वहीं फ्लाइंग नेकेड के जर‍िए ट्रैवलर्स अपना समय भी बचा रहे हैं। ऐसा इसल‍िए क्‍योंकि जब आपके पास काेई सामान नहीं होगा तो Check-In में भी समय नहीं बर्बाद होगा। न ही सामान खोने का डर रहेगा।

यही लोग फॉलो कर रहे ट्रेंड
अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा क‍ि बिना ज्यादा कपड़ों, फुटव‍ियर और टॉयलेट्रीज के कैसे ट्रैवल किया जा सकता है? तो हम आपको बता दें क‍ि ये घूमने के इस ट्रेंड को वही लोग फॉलाे कर रहे हैं जो कम सामानों के साथ ट्रैवल कर सकते हैं। इसका मकसद स‍िर्फ आरामदायक और फ्री फ्लोइंग ट्रैवल को बढ़ाना है। अगर आप इस तरह की ट्रैवल‍िंग करना चाहते हैं तो आपको कुछ खास चीजों का ध्यान रखना होगा।

ऐसे करें स्‍मार्ट पैक‍िंग
आप ऐसे कपड़े पैक करें जो बैगपैक में आ सकें। स्मार्ट टॉयलेट्रीज रख लें। टेक्नोलॉजी का कम से कम इस्तेमाल करें। जैसे सिर्फ मोबाइल, पावर बैंक और हेडफोन ही पैक करें। लैपटॉप या कैमरा ले जाने से बचना चाह‍िए। डिजिटल बोर्डिंग पास और ई-डॉक्यूमेंट्स फोन में रखें। इससे आपको हार्ड कॉपी रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पासपोर्ट, वीजा और फ्लाइट टिकट की स्कैन कॉपी मोबाइल में सेव करें।

क्‍या हैं इसके फायदे
एयरपोर्ट पर चेक इन करने में आसानी होती है।

इसमें आपको हैवी लगेज के ल‍िए एक्‍सट्रा पे करने की भी जरूरत नहीं होती है।

फ्लाइट मिस होने की टेंशन भी कम हो जाती है।

होटल या घूमने फ‍िरने के दौरान सामान चोरी होने का डर भी नहीं रहता है।

आप कम्फर्ट और फ्रीडम के साथ ट्रैवल‍िंग कर सकते हैं।

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रिमझिम बारिश में एक्सप्लोर करें महाराष्ट्र का संगमेश्वर, वीकेंड में बनाएं घूमने का प्लान https://wenews.co.in/NewsArticle/147504/ Mon, 09 Jun 2025 14:45:37 +0000 https://wenews.co.in/NewsArticle/147504/

महाराष्ट्र में जब भी बारिश होती है, तो लोनावला से लेकर माथेरान और महाबलेश्वर जैसी जगहों पर पर्यटकों की भीड़ लगने लगती है। वहीं महाराष्ट्र की फेमस जगहों से दूसर संगमेश्वर एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है।

महाराष्ट्र हमारे देश का एक खूबसूरत और प्रमुख राज्य है। महाराष्ट्र एक ओर से अरब सागर और दूसरी ओर से सतपुड़ा पर्वतमाला से घिरा हुआ है। यह एक ऐसा राज्य है, जो रिमझिम बारिश में पर्यटन हब का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। महाराष्ट्र में जब भी बारिश होती है, तो लोनावला से लेकर माथेरान और महाबलेश्वर जैसी जगहों पर पर्यटकों की भीड़ लगने लगती है। वहीं महाराष्ट्र की फेमस जगहों से दूसर संगमेश्वर एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। वहीं हल्की रिमझिम बारिश में संगमेश्वर की खूबसूरती किसी हसीन खजाने से कम नहीं लगती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको संगमेश्वर की खासियत के बारे में बताने जा रहे हैं।

महाराष्ट्र में संगमेश्वर
संगमेश्वर की खासियत और खूबसूरती बेहद कमाल की है। यह रत्नागिरी में स्थित एक खूबसूरत और मनमोहक जगह है। संगमेश्वर महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से करीब 284 किमी, पुणे से 247 किमी और कोल्हापुर से करीब 120 किमी दूर है।

क्यों फेमस है संगमेश्वर
महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित संगमेश्वर भले ही एक छोटा सा शहर है, लेकिन यह जगह अपने धार्मिक, ऐतिहासिक महत्व और खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए पूरे राज्य में फेमस है। खासकर यह जगह संगमेश्वर मंदिर और संगमेश्वर शहर के लिए फेमस है। जोकि भगवान शिव को समर्पित है।

संगमेश्वर महाराष्ट्र का एक ऐसा शहर है, जो शास्त्री नदी और सोनावी नदी के संगम पर स्थित है। इसके चलते यहां पर रिमझिम बारिश में राज्य के हर कोने से लोग घूमने के लिए आते हैं। इस स्थान को रत्नागिरी का छिपा हुआ खजाना भी माना जाता है। वहीं गमेश्वर वहीं स्थान है, जहां पर औरगंजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज को बंदी बनाया था।

पर्यटकों के लिए क्यों खास है ये जगह
संगमेश्वर का इतिहास प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है। रिमझिम बारिश में स्थित वॉटरफॉल से लेकर घास के मैदान और नदियों की खूबसूरती इस जगह को बेहद खूबसूरत बनाने का काम करती है। संगमेश्वर की हरियाली देखते ही बनती है।

संगमेश्वर अपने शांत और शुद्ध वातावरण के लिए जाना जाता है। शहर की भाग-दौड़ भरी जिंदगी से दूर संगमेश्वर में आप सुकून के कई पल बिताने के लिए पहुंचते हैं। संगमेश्वर अपनी खूबसूरती के साथ ही एडवेंचर एक्टिविटी के लिए भी जाना जाता है। कई लोग मानसून में यहां पर सिर्फ ट्रेकिंग का लुत्फ उठाने के लिए पहुंचते हैं।

संगमेश्वर मंदिर
संगमेश्वर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में संगमेश्वर मंदिर काफी फेमस है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित होने के कारण पर्यटक यहां घूमने के लिए पहुंचते रहते हैं। मंदिर के आसपास से बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। कर्णेश्वर मंदिर को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं और यह मंदिर भी भगवान शिव को समर्पित है।

मार्लेश्वर वॉटरफॉल
संगमेश्वर के पहाड़ों में स्थित मार्लेश्वर एक फेमस और खूबसूरत वॉटरफॉल है। मानसून में यहां सिर्फ स्थानीय पर्यटक नहीं बल्कि अन्य कई शहरों से पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते हैं। यह वॉटरफॉल प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां के आसपास की हरियाली पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है। इसके साथ ही आप छत्रपति संभाजी महाराज की समाधि को एक्सप्लोर करना न भूलें।

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जून के लॉन्ग वीकेंड में गर्मी से बचने के लिए पहुंचे इन ठंडी जगहों पर https://wenews.co.in/NewsArticle/147506/ Mon, 09 Jun 2025 14:45:37 +0000 https://wenews.co.in/NewsArticle/147506/

जून के फर्स्ट वीक में 3 दिनों की लंबी छुट्टियां मिलने वाली हैं। हालांकि अगर आप ऑफिस से सिर्फ 1 दिन की छुट्टी लेते हैं, तो आप 4 दिन घूमने का लुत्फ उठा सकते हैं। आप इस लॉन्ग वीकेंड में हिमाचल से लेकर उत्तराखंड और दक्षिण भारत से लेकर पूर्व भारत तक कई बेहतरीन जगहों को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

लॉन्ग वीकेंड में घूमने का मजा हर किसी को होता है। ऐसे में घूमने जाने के लिए लोग लॉन्ग वीकेंड का इंतजार करते हैं। जिससे कि वह अपनी फैमिली, पार्टनर या दोस्तों के साथ छुट्टी मनाने जा सकें। वहीं जून के पहले सप्ताह में लॉन्ग वीकेंड का इंतजार खत्म होने वाला है। क्योंकि जून के फर्स्ट वीक में 3 दिनों की लंबी छुट्टियां मिलने वाली हैं। हालांकि अगर आप ऑफिस से सिर्फ 1 दिन की छुट्टी लेते हैं, तो 3 नहीं बल्कि 4 दिन घूमने का लुत्फ उठा सकते हैं। आप इस लॉन्ग वीकेंड में हिमाचल से लेकर उत्तराखंड और दक्षिण भारत से लेकर पूर्व भारत तक भारत की कई बेहतरीन और शानदार जगहों को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

ऐसे में अगर आप जून महीने में सिर्फ 5 तारीख को छुट्टी लेते हैं, तो 5 से 8 यानी की 4 दिनों तक जून महीने के फर्स्ट वीक में घूमने का लुत्फ उठा सकते हैं। अगर आप 05 जून की छुट्टी नहीं भी लेते हैं, तो भी आप 3 दिन घूम सकते हैं।

जून लॉन्ग वीकेंड में घूमने की जगहें
जून साल का एक ऐसा महीना होता है, जब आप देश के कई राज्यों में गर्मी का तापमान आसमान छूने लगता है। जून में जब गर्मी अपने चरम पर होती है, तो कई लोग ठंडी-ठंडी जगहों पर घूमने का प्लान बनाते हैं।

नारकंडा
जून की छुट्टियों में आप शिमला से करीब 61 किमी दूर स्थित नारकंडा घूमने के लिए जा सकते हैं। हालांकि लोग हिमाचल में मनाली, शिमला और धर्मशाला जाते हैं। लेकिन इस बार आप नारकंडा जरूर एक्सप्लोर करें।

नारकंडा हिमाचल प्रदेश का एक फेमस और खूबसूरत हिल स्टेशन है। यहां की हसीन वादियों में आप अपने परिवार, दोस्तों या पार्टनर के साथ खूबसूरत पल बिता सकते हैं।

धारचूला
उत्तराखंड के नैनीताल, ऋषिकेश या मसूरी में घूमकर बोर हो गए हैं, तो फिर जून की छुट्टियों में धारचूला की हसीन वादियों को एक्सप्लोर करने पहुंच जाना चाहिए। धारचूला उत्तराखंड का एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग मानी जाती है। जून के महीने में अक्सर ठंड-ठंडी हवाएं चलती रहती हैं। इसके अलावा भी आप यहां पर एडवेंचर एक्टिविटी कर सकते हैं।

मुख्य आकर्षण
चिरकिला डैम

अस्कोट अभयारण्य

नारायण आश्रम

गंगटोक
वहीं अगर आप जून के महीने में छुट्टियां मनाने के लिए नॉर्थ ईस्ट इंडिया घूमने का प्लान बना रहे हैं। फिर तो आपको गंगटोक पहुंच जाना चाहिए। समुद्र तल से करीब 5 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद गंगटोक नॉर्थ ईस्ट के टॉप डेस्टिनेशन में से एक माना जाता है। जून के महीने में यहां पर सिर्फ देशी ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी घूमने के लिए पहुंच सकते हैं। जून के महीने में यहां का मौसम काफी सुहावना रहता है।

मुख्य आकर्षण
ताशी व्यू पॉइंट

त्सोमो झील

हनुमान टोक

इन जगहों को भी करें एक्सप्लोर
देश में अन्य और कई शानदार और खूबसूरत जगहें मौजूद हैं। जहां पर आप जून के महीने में छुट्टियां मनाने के लिए पहुंच सकते हैं। जैसे- कोणार्क, दक्षिण भारत में वायनाड और कुर्ग। इसके साथ हिमाचल प्रदेश में आप सांगला, रोहड़ू और उत्तराखंड में मुनस्यारी या चकराता पहुंच सकते हैं।

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Jharkhand Tourism: प्रकृति, इंजीनियरिंग और पर्यटन का अद्भुत संगम है झारखंड का मैथन डैम https://wenews.co.in/NewsArticle/147508/ Mon, 09 Jun 2025 14:45:37 +0000 https://wenews.co.in/NewsArticle/147508/

मैथन डैम की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है, जब मौसम सुखद और ठंडा होता है। मानसून के दौरान (जुलाई से सितंबर) झील और आसपास का क्षेत्र हरे-भरे हो जाते हैं, लेकिन भारी वर्षा के कारण फिसलन और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ हो सकती हैं।

मैथन डैम, झारखंड के धनबाद जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, इंजीनियरिंग कौशल और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यह डैम बराकर नदी पर स्थित है और झारखंड तथा पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है।

ऐतिहासिक और तकनीकी विशेषताएँ
निर्माण और उद्देश्य: मैथन डैम का निर्माण 1953 से 1957 के बीच हुआ था और इसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और विद्युत उत्पादन था। यह डैम भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के स्वप्नों में से एक था।

आकार और क्षमता: डैम की लंबाई लगभग 4,789 मीटर और ऊँचाई 50 मीटर है। इसका जलाशय 65 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो मैथन झील के नाम से जाना जाता है।

विद्युत उत्पादन: मैथन डैम में एशिया का पहला भूमिगत जलविद्युत संयंत्र स्थित है, जो 60 मेगावाट की क्षमता से बिजली उत्पन्न करता है।

पर्यटन आकर्षण
मैथन झील: झील की शांत जलराशि और हरे-भरे परिवेश इसे नौका विहार, मछली पकड़ने और पक्षी अवलोकन के लिए आदर्श बनाते हैं।

डियर पार्क: डैम के पास स्थित डियर पार्क में पर्यटक हिरणों को प्राकृतिक वातावरण में देख सकते हैं।

कल्याणेश्वरी मंदिर: डैम से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर माँ काली को समर्पित है और धार्मिक आस्था का केंद्र है।

पिकनिक और फोटोग्राफी: मैथन डैम का सुंदर परिदृश्य इसे पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त स्थान बनाता है, विशेषकर सूर्यास्त के समय।

कैसे पहुँचें
सड़क मार्ग: मैथन डैम, धनबाद से लगभग 48 किलोमीटर और आसनसोल से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन बराकर है, जो डैम से लगभग 8 किलोमीटर दूर है।

वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा रांची में स्थित है, जो डैम से लगभग 194 किलोमीटर दूर है।

यात्रा का सर्वोत्तम समय
मैथन डैम की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है, जब मौसम सुखद और ठंडा होता है। मानसून के दौरान (जुलाई से सितंबर) झील और आसपास का क्षेत्र हरे-भरे हो जाते हैं, लेकिन भारी वर्षा के कारण फिसलन और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ हो सकती हैं।

यात्रा सुझाव
डैम क्षेत्र में प्रवेश के लिए अनुमति आवश्यक हो सकती है; यात्रा से पहले स्थानीय अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करें।

डैम के किनारे फिसलन हो सकती है; उचित जूते पहनें और बच्चों पर विशेष ध्यान दें।

स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण का सम्मान करें; कचरा न फैलाएँ और वन्यजीवों को परेशान न करें।

मैथन डैम न केवल झारखंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, बल्कि यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल और प्राकृतिक सौंदर्य का भी प्रतीक है। यदि आप प्रकृति, इतिहास और रोमांच का संगम अनुभव करना चाहते हैं, तो मैथन डैम की यात्रा अवश्य करें।

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शरीर से Uric Acid को बाहर निकाल फेकेंगे ये ‘जादुई’ योगासन https://wenews.co.in/NewsArticle/147442/ Sat, 07 Jun 2025 16:55:39 +0000 https://akhandbharatnews.in/NewsArticle/147442/

यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में दर्द, सूजन और गठिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसे संतुलित आहार और नियमित योग से कंट्रोल किया जा सकता है। कुछ विशेष योगासन शरीर से टॉक्सिन्स निकालने, किडनी की कार्यक्षमता सुधारने और जोड़ों को लचीला बनाए रखने में मदद करते हैं। तो आइए जानते हैं कुछ आसान योगासन और इन्हें करने के सही तरीकों के बारे में-

वज्रासन
वज्रासन, एकमात्र योगासन है जिसे भोजन के बाद किया जा सकता है, क्योंकि ये पाचन सुधारता है और यूरिक एसिड के निर्माण को रोकता है। इसे करने के लिए घुटनों को मोड़कर एड़ियों पर बैठें, रीढ़ को सीधा रखें और हाथ घुटनों पर रखें। गहरी सांस लें और कम से कम 5-10 मिनट तक इस मुद्रा में रहें। इसका नियमित अभ्यास डाइजेशन को सुधारता है और यूरिक एसिड को बढ़ने से रोकता है।

बालासन
बालासन योगासन शरीर को रिलैक्स महसूस कराता है और जोड़ों की जकड़न कम करता है। इसे करने के लिए घुटनों के बल बैठें और धीरे-धीरे आगे झुकते हुए माथे को जमीन पर टिकाएं। बाजुओं को आगे की ओर फैलाएं और गहरी सांस लें। इस मुद्रा में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें। इसका नियमित अभ्यास यूरिक एसिड को कम करने में सहायक होता है।

भुजंगासन
ये आसन किडनी को सक्रिय करता है, जिससे शरीर से यूरिक एसिड बाहर निकलने में मदद मिलती है। इसे करने के लिए पेट के बल लेटें, दोनों हथेलियों को कंधों के पास रखें और धीरे-धीरे सिर व छाती को ऊपर उठाएं। इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन
ये योगासन लीवर और किडनी को डिटॉक्स करने में मदद करता है, जिससे शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। इसे करने के लिए दाएं पैर को मोड़कर बाईं जांघ के पास रखें और बायां हाथ दाएं घुटने पर रखें। शरीर को दाईं ओर मोड़ें और 20-30 सेकंड तक इसी स्थिति में रहें। फिर दूसरी दिशा में दोहराएं।

सेतुबंधासन
सेतुबंधासन ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाकर जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करता है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और पैरों को जमीन पर रखें। हाथों को शरीर के पास रखते हुए धीरे-धीरे कमर को ऊपर उठाएं। इस मुद्रा में 20-30 सेकंड तक रुकें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।

पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन पाचन को सुधारता है और शरीर से गैस और विषैले पदार्थ निकालकर यूरिक एसिड को नियंत्रित करता है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और उन्हें छाती से सटाएं। हाथों से घुटनों को पकड़ें और सिर को ऊपर उठाएं। इस मुद्रा को 30 सेकंड तक बनाए रखें।

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द‍िमाग को हेल्‍दी बनाए रखेंगी ये 5 अच्‍छी आदतें https://wenews.co.in/NewsArticle/147440/ Sat, 07 Jun 2025 16:55:39 +0000 https://akhandbharatnews.in/NewsArticle/147440/

हर साल 8 जून को World Brain Tumor Day 2025 मनाया जाता है। इस द‍िन लोगों काे इस गंभीर बीमारी के प्रत‍ि जागरुक क‍िया जाता है। ये एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र के लोगों को चपेट में ले सकती है। कहते हैं क‍ि अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न क‍िया जाए तो ये जानलेवा हो सकती है। ये बीमारी तब होती है जब द‍िमाग या उसके आसपास के सेल्‍स की असामान्य तरीके से वृद्धि होने लगती है।

कुछ ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ते हैं जाे क‍ि Non Cancerous होते, वहीं कुछ जानलेवा हो सकते हैं। ये बीमारी होने के पीछे आपकी कुछ आदतें भी ज‍िम्‍मेदार हो सकती हैं। इसके लक्षणों में तेज स‍िर दर्द, धुंधला द‍िखाई देना, बैलेंस बनाने में द‍िक्‍कत होना जैसी कई चीजें शाम‍िल हैं। आज का हमारा लेख भी इसी व‍िषय पर है। हम आपको अपने इस लेख में ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही ये भी बताएंगे क‍ि आप कौन सी आदतें अपनानी चाह‍िए ज‍िससे ब्रेन ट्यूमर का खतरा कम हो सके। आइए जानते हैं व‍ि‍स्‍तार से –

आपको बता दें क‍ि ब्रेन ट्यूमर होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है। इसल‍िए जरूरी है कि सही डाइट, नींद, व्यायाम और तनाव को मैनेज करके हम अपने द‍िमागी स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
लगातार सिरदर्द होना

मतली और उल्टी

आंख से धुंधला दिखाई देना

चिड़चिड़ापन होना

वॉक करने में द‍िक्‍कत होना

दौरे आना

बोलने में कठिनाई

बैलेंस बनाने में द‍िक्‍कत होना

बार-बार चीजों को भूल जाना

द‍िमाग को हेल्‍दी बनाए रखेंगी ये अच्‍छी आदतें

हेल्‍दी डाइट लें
आप जो भी खाते हैं उसका सीधा असर आपके द‍िमाग पर भी पड़ता है। ऐसे में आपको अखरोट और फ्लैक्‍स सीड्स को जरूर खाना चाह‍िए। इनमें Omega 3 Fats की अच्‍छी मात्रा पाई जाती है। ये द‍िमाग की नसों को हेल्‍दी बनाए रखते हैं। इसके अलावा अनार और अमरूद भी द‍िमाग के ल‍िए फायदेमंद होते हैं।

नींद पूरी करें
आपके द‍िमाग को भी आराम की जरूरत होती है। ताक‍ि वो मेमोरी को स्टोर कर सके। वहीं टॉक्‍स‍िन्‍स को बाहर न‍िकाल सके। ऐसे में अगर आप देर रात तक जगते हैं तो इससे आपका द‍िमाग भी एक्‍ट‍िव रहता है। डॉक्टर भी सात से आठ घंटे नींद लेने की सलाह देते हैं। आप द‍िन में भी Short Nap ले सकते हैं। इससे भी आपके द‍िमाग को आराम मि‍लेगा।

वर्कआउट जरूरी
एक्‍सरसाइज करना स‍िर्फ आपके शरीर के ल‍िए ही नहीं, बल्कि द‍िमाग की सेहत के ल‍िए भी जरूरी है। वॉक‍िंग, योगा, साइक‍िल‍िंग करने से ब्‍लड सर्कुलेशन बेहतर तरीके से हो पाता है। इससे द‍िमाग में ब्‍लड फ्लाे बेहतर होता है। साथ ही ये मेमोरी को भी बूस्ट करता है।

न लें तनाव
अगर आप तनाव लेते हैं या फ‍िर अकेलेपन का श‍िकार हैं तो इससे आपके ब्रेन को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में आप अपने खास लोगों से बातचीत कर सकते हैं। ये आपकाे अकेलेपन से उबरने में मदद करेगा।

द‍िमाग को रखें एक्‍ट‍िव
द‍िमाग को एक्‍ट‍िव बनाए रखने के ल‍िए आप छोटे-छोटे क्‍व‍िज में पार्टिस‍िपेट कर सकते हैं। आप क‍िताबें पढ़ सकते हैं। पजल्‍स सॉल्‍व कर सकते हैं। नई-नई चीजों को सीख सकते हैं। ये सभी आदतें आपके द‍िमाग को हेल्‍दी बनाए रखने में मदद करेंगे।

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नाइट शिफ्ट करने वालों के लिए डॉक्टर के बताए 3 Sleep Hacks https://wenews.co.in/NewsArticle/147304/ Tue, 03 Jun 2025 08:25:49 +0000 https://amarrashtra.com/?p=147304 अगर आप भी नाइट शिफ्ट करते हैं और अच्छी नींद के लिए तरसते हैं, तो यह आर्टिकल आपको जरूर पढ़ना चाहिए। दरअसल, दिन में सोना रात की नींद से बहुत अलग होता है, क्योंकि इस समय घर में होने वाला शोर, रोशनी और बॉडी की इंटरनल क्लॉक का बदलना नींद को मुश्किल बना देता है।

हालांकि, अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। जी हां, हार्वड के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर सौरभ सेठी ने अपने इंस्टाग्राम पर कुछ ऐसे तरीके   बताए हैं, जिनसे आप दिन में भी गहरी और सुकून भरी नींद ले सकते हैं। आइए जानें।

ब्लैकआउट पर्दे का करें इस्तेमाल
जब आप दिन में सोने की कोशिश करते हैं, तो सबसे बड़ी चुनौती होती है रोशनी। सूरज की रोशनी हमारे शरीर को जगाने का संकेत देती है, जिससे नींद आना मुश्किल हो जाता है। इसका सबसे आसान और असरदार उपाय है ब्लैकआउट पर्दे (Blackout Curtains)। ये पर्दे आपके कमरे को पूरी तरह से अंधेरा कर देते हैं, जैसे रात हो। ऐसे में, जितना अंधेरा होगा, आपका दिमाग उतना ही आसानी से समझेगा कि यह सोने का समय है। इससे मेलाटोनिन यानी नींद वाले हार्मोन का प्रोडक्शन बेहतर होगा और आपको गहरी नींद आएगी।

ब्लू-लाइट से बचें
आजकल हम सभी स्क्रीन से घिरे हुए हैं। चाहे वह कंप्यूटर हो, टैबलेट हो या स्मार्टफोन। इन सभी से Blue Light निकलती है, जो हमारी नींद को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। बता दें, ब्लू लाइट हमारे शरीर की मेलाटोनिन की उत्पादन क्षमता को कम करती है, जिससे हमें नींद आने में दिक्कत होती है।

डॉक्टर के मुताबिक बेहतर होगा कि आप अपनी नाइट शिफ्ट के दौरान ब्लू-लाइट ब्लॉकिंग ग्लासेज (Blue-Light Blocking Glasses) पहनें। ये चश्मे ब्लू लाइट को आपकी आंखों तक पहुंचने से रोकते हैं, जिससे आपकी नींद का पैटर्न कम बिगड़ता है। इसके अलावा सोने से पहले अपने फोन का इस्तेमाल कम से कम करें, लेकिन अगर जरूरी हो, तो ब्लू-लाइट फिल्टर ऑन रखें। जी हां, ज्यादातर स्मार्टफोन में यह सेटिंग होती है।

सोने से 6 घंटे पहले कैफीन से बनाएं दूरी
कॉफी, चाय, एनर्जी ड्रिंक – ये सभी कैफीन के सोर्स हैं, जो आपको एक्टिव रखते हैं। नाइट शिफ्ट में काम करते हुए आपको इनकी जरूरत महसूस हो सकती है, लेकिन याद रखें कि कैफीन का असर लंबे समय तक रहता है। इसलिए, डॉक्टर सलाह देते हैं कि अपनी सोने की टाइमिंग से कम से कम 6 घंटे पहले कैफीन का सेवन बंद कर दें।

अगर आप अपनी शिफ्ट खत्म होने के तुरंत बाद सोने वाले हैं, तो इसका मतलब है कि आपको शिफ्ट के आखिरी कुछ घंटों में कैफीन से पूरी तरह बचना होगा। कैफीन आपके नर्वस सिस्टम को एक्टिव करता है और आपको सोने नहीं देता, चाहे आप कितने भी थके हुए क्यों न हों।

इन 3 आसान स्लीप हैक्स को अपनाकर आप अपनी नाइट शिफ्ट के बाद भी गहरी और सुकून भरी नींद ले सकते हैं।

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