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डॉलर नहीं अब सोना पर बढ़ रहा भारत का भरोसा

भारत अब डॉलर से ज्यादा गोल्ड पर भरोसा कर रहा है। बता दें कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि RBI ने विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) को मजबूत करने के लिए अमेरिकी ट्रेजरी बिलों (US Treasury Bills) की तुलना में अपनी गोल्ड होल्डिंग बढ़ाने को प्राथमिकता दी है।

यह आंकड़े डॉलर से हटकर राष्ट्रीय बचत में डायवर्सिफिकेशन लाने के बड़े ग्लोबल रुझान को दर्शाते हैं। जून में अमेरिकी ट्रेजरी बिलों में भारत का निवेश एक साल पहले की तुलना में कम हुआ, जबकि इसी दौरान गोल्ड होल्डिंग में वृद्धि हुई।

यूएस ट्रेजरी बिल के बड़े निवेशकों में भारत
हालांकि भारत अमेरिकी ट्रेजरी बिलों के टॉप 20 निवेशकों में बना हुआ है और ये इस मामले में सऊदी अरब और जर्मनी से आगे है। जून 2025 में इसकी होल्डिंग 227 अरब डॉलर थी, हालाँकि यह पिछले साल जून के 242 अरब डॉलर से कम हुई है।

कितना गोल्ड खरीदा
RBI के आंकड़ों से पता चलता है कि इसने इसी अवधि के दौरान लगभग 39.22 मीट्रिक टन सोना खरीदा। 27 जून, 2025 तक विदेशी मुद्रा भंडार के हिस्से के रूप में सोना 879.98 मीट्रिक टन रहा, जबकि पिछले साल 28 जून को यह 840.76 मीट्रिक टन था।

चीन ने कम की होल्डिंग
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने से पहले, पिछले साल दिसंबर में भारत के पास अमेरिकी ट्रेजरी बिलों की होल्डिंग अपने सबसे निचले स्तर पर थी। बकाया 227 अरब डॉलर के लगभग सभी ट्रेजरी बिल विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा हैं, जो 22 अगस्त 2025 तक 690 अरब डॉलर था।

जापान और ब्रिटेन के बाद अमेरिकी ट्रेजरी बिलों का तीसरा सबसे बड़ा धारक है चीन। चीन ने भी अपनी होल्डिंग कम कर दी है। चीन के पास जून 2025 में 756 अरब डॉलर थे, जो जून 2024 के 780 अरब डॉलर से कम है। इसके विपरीत, इजराइल ने इसी दौरान इस एसेट क्लास में अपने निवेश में तेजी से वृद्धि की है।

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